Wednesday, 29 July 2015

द्वितीय द्वैमासिक मौद्रिक नीति, 2015-16

द्वितीय द्वैमासिक मौद्रिक नीति, 2015-16 मौद्रिक नीति अर्थव्यवस्था में तरलता (Liquidity), साख की उपलब्धता, निवेश, मूल्य स्तर, रोजगार तथा उत्पादन को प्रभावित करती है। मौद्रिक नीति बाजार में मुद्रा की आपूर्ति को नियंत्रित करने के साथ ही यह तय करती है कि रिजर्व बैंक किस दर पर बैंकों को कर्ज देगा या फिर किस दर पर उन बैंकों से पैसा वापस लेगा। मौद्रिक नीति को भारतीय रिजर्व बैंक अपने केंद्रीय बोर्ड की सिफारिशों के आधार पर तय करता है। इस बोर्ड में जाने-माने अर्थशास्त्री, उद्योगपति और नीति-निर्माता शामिल होते हैं। इसके लिए रिजर्व बैंक समय-समय पर भारत सरकार के आर्थिक विभागों से सलाह-मशविरा करता है, लेकिन अंतिम निर्णय रिजर्व बैंक ही लेता है। विकसित देशों में समय-समय पर जो मौद्रिक नीति उनके केंद्रीय बैंकों द्वारा घोषित की जाती है, उसका लक्ष्य मुद्रास्फीति की दर को निम्न स्तर पर बनाए रखना है। भारत और अन्य अनेक विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में केंद्रीय बैंकों के दो लक्ष्य होते हैं-मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना और विकास को गति देना। उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिश पर भारतीय रिजर्व बैंक ने अब प्रत्येक दो माह पर मौद्रिक नीति की घोषणा करनी शुरू की है। 2 जून, 2015 को जारी द्वैमासिक मौद्रिक नीति इसी शृंखला की आठवीं तथा वर्तमान वित्त वर्ष 2015-16 की दूसरी घोषणा है। खाद्य मुद्रास्फीति के चार माह के निचले स्तर पर पहुंचने, औद्योगिक उत्पादन में असमान रूप से सुधार होने तथा चलनिधि की स्थिति में हुए सुधार के मद्देनजर रिजर्व बैंक ने इस दूसरी मौद्रिक नीति में ब्याज दरों में कुछ बदलाव किए हैं। वित्त वर्ष 2015-16 की दूसरी द्वैमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य के महत्त्वपूर्ण अंश आगे प्रस्तुत हैं- 2 जून, 2015 को भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर डॉ. रघुराम जी. राजन द्वारा ‘द्वितीय द्वैमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2015-16’ (Second Bi-Monetary Policy Statement, 2015-16) जारी किया गया। समीक्षा में लिए गए निर्णयों के अनुसार-‘चलनिधि समायोजन सुविधा’ (LAF-Liquidity Adjustment Facility) के अंतर्गत रेपो दर में तत्काल प्रभाव से 25 आधार अंकों की कमी करते हुए इसे 7.50 प्रतिशत से घटाकर 7.25 प्रतिशत कर दिया गया। इसी कटौती के चलते इस पर आधारित कुछ अन्य दरों में भी स्वतः परिवर्तन हो गए। एलएएफ (LAF) के तहत, चूंकि रिवर्स रेपो दर, रेपो दर से 100 अंक नीचे होती है। अतः इसे भी 6.50 प्रतिशत से 25 आधार अंक कम कर 6.25 प्रतिशत कर दिया गया। ‘सीमांत स्थायी सुविधा दर’ (MSF-Marginal Standing Facility Rate) का निर्धारण रेपो दर से 100 आधार ऊपर होता है। अतः यह भी 8.50 प्रतिशत से घटकर 8.25 प्रतिशत हो गया। चूंकि बैंक दर एमएसएफ (MSF) दर के समतुल्य होती है, अतः यह भी पुनर्संयोजित होकर 8.25 प्रतिशत हो गई। अनुसूचित बैंकों के ‘नकद आरक्षित अनुपात’ (CRR-Cash Reserve Ratio) को अपरिवर्तित रखते हुए इसे ‘निवल मांग और मियादी देयताओं’ (NDTL : Net Demand and Time Liabilities) के 4.0 प्रतिशत पर रखा गया है। बैंकिंग तंत्र में नकदी की स्थिति में सुधार के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने कॉल मनी (1 दिन के लिए निधियां उधार लेने अथवा देने) में ‘तरलता समाशोधन सुविधा’ (LAF) के तहत बैंकों की शुद्ध निवल मांग और सावधिक देनदारियां (Net Demand and Time Liabilities-NDTL) को 0.25 प्रतिशत पर जारी रखा गया है। साथ ही 14 दिन की मियादी रेपो सीमा को एनडीटीएल के 0.75 प्रतिशत पर सीमित रखा गया है। इस मौद्रिक नीति वक्तव्य के अनुसार जनवरी, 2016 तक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति का 6 प्रतिशत तक रहने का अनुमान है जो अप्रैल में किए गए अनुमानों से थोड़ा अधिक है। भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार वित्तीय वर्ष 2015-16 के दौरान चालू खाता घाटे का स्तर GDP के 1.5 प्रतिशत तक रहने की संभावना है। वर्ष 2015-16 के लिए अनुमानित उत्पाद संवृद्धि दर को अप्रैल के पूर्वानुमानित 7.8 प्रतिशत से घटाकर 7.6 प्रतिशत कर दिया गया है। नवीनतम दरें (2 जून, 2015 से) बैंक दर – 8.25 प्रतिशत सीआरआर – 4 प्रतिशत रेपो दर – 7.25 प्रतिशत एसएलआर – 21.5 प्रतिशत रिवर्स रेपो दर – 6.25 प्रतिशत आधार दर – 9.75-10.00 प्रतिशत एमएसएफ दर – 8.25 प्रतिशत सावधि जमा दर – 8.00-8.50 प्रतिशत

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